इस अपडेट के माध्यम से मैं पाठकों के समक्ष मोदी जी के भाषण के तीन तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूँ. इन तत्थ्यों को मैंने एक कविता के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है. इस कविता का शीर्षक है – मोदी की भाषणबाजी पर कविता. मोदी जी के भाषण के जो तीन तथ्य मैंने प्रस्तुत किया है वे हैं – इरादे, भाषण कला और झूठे वादे.
क्या आपको श्री नरेंद्र मोदी के भाषण याद हैं ? मेरा सवाल है उन भाषणों के बारे में जो उन्होंने PM पद का दावेदार घोषित होने के बाद देश भर में दिया था. कृपया उनकी वक्तृत्व शैली (Oratory Style) को याद करें. आप यह नहीं भूले होंगे कि उन्होंने अपने भाषण की ताल पर जनता को चुनाव सभाओं में कैसे झुमाया और नचाया था.
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एक कविता में नरेंद्र मोदी के भाषण के 3 तथ्य
2014 के पार्लियामेंट्री इलेक्शन के लिए नरेंद्र मोदी PM पद के दावेदार थे. उनकी दावेदारी 2013 में ही तय कर दी गयी थी. उसके बाद उन्होंने देश भर में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था. इसी क्रम में उन्होंने 7 नवंबर, 2013 को छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक यादगार भाषण दिए था. यह भाषण उन्होंने विधान सभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार करते हुए दिया था.
उनके भाषण के सम्बन्ध में मैं तीन बातें कविता के रूप में आप के समक्ष रख रहा हूँ.
मन में नापाक इरादे: मोदी की भाषणबाजी पर कविता Part 1
मोदी जी अपनी सोच के तत्व अपने मन में रखते हैं. ये वे तत्व हैं जो उन्हें गाइड करते हैं कि वे ऑडियंस को कैसे कण्ट्रोल करें. और ये तत्व ही निर्धारित करते हैं कि वे ऑडियंस से अपने लिए क्या हासिल करना चाहते हैं. इन तत्वों से मेरा मतलब भाषण की स्क्रिप्ट नहीं है. ये वो तत्व हैं जो उन्हें निर्देशित करते हैं कि श्रोताओं के लिए भाषण डिलीवरी कैसे करना है. बॉडी लैंग्वेज कैसे प्रदर्शित करना है. और उनकी प्रतिक्रिया कैसे लेनी है. ऐसे विचार भाषण देने के बहुत पहले उनके मन में समाते हैं और तब तक मन में रहते हैं जब तक वह अपना भाषण समाप्त नहीं कर लेते.
उनके भाषण की स्क्रिप्ट भी इन्हीं तत्वों से निर्देशित होती है. मोदी जी को सुनते सुनते अब जनता उनकी सोच को समझ चुकी है. अब मोदी एक्सपोज़ हो चुके हैं.
जब मोदी का मन मचलता है भाषण मंच पर
भाइयों, बहनों एवं मित्रों,
आप मेरे मतदाता हो. दाता हो आप मेरे लिए. आप के लिए मैं मनोरंजक भाषण दे रहा हूँ. बदले में आप मुझे मतदान के दिन वोट दीजिये. मेरा भाषण आप का मनोरंजन है. आप मेरे भाषण पर डांस कीजिये और मेरा भी मनोरंजन कराइये.
निम्न काव्य पंक्तियाँ मोदी जी की मंशा व्यक्त करती हैं.
अच्छे दिन आएंगे लेकिन पहले …
नाच नाच नाच – नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
मन तू बना ले वोट मुझे दे दे
हर हाल में मैं तेरा वोट लेऊंगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
प्रश्न पूछूंगा तुमसे, अपने भाषण में
प्रश्न पूछूंगा तुमसे अपने भाषण में
हाँ ना कहवाऊंगा हाथ उठवाऊंगा
हर हर मोदी का नारा लगवाऊंगा
घर घर मोदी मैं बोलवाऊंगा, बोलवाऊंगा, बोलवाऊंगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा, तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
तेरे ही वोट से, मैं पी एम् बनूँगा
तेरे ही वोट से मैं पी एम् बनूँगा, तेरे पैसे से मैं विदेश जाऊँगा
सरकारी यात्रा पर दुनिया घूमूँगा
मैं पिछले सारे रिकॉर्ड तोडूंगा, रिकॉर्ड तोडूंगा, रिकॉर्ड तोडूंगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
नमो नमो तुमसे, मैं जपवाऊँगा
नमो नमो तुमसे मैं जपवाऊँगा
दैवीय सत्ता की अनुभूति पाऊंगा
नशा राष्ट्रवाद का तुमको पिलाऊँगा
वोट के लिए गुमराह करूँगा, गुमराह करूँगा, गुमराह करूँगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
अव्यवहारिक वादे: मोदी की भाषणबाजी पर कविता Part 2
मन में जो चलता रहता है उसको प्रतिपादित करने के लिए भाषण के शब्द गढ़े जाते हैं. वास्तव में ये शब्द पहले से गढ़कर तैयार किये गए होते हैं. फिर शुरू हो जाता है भाषण. जिसका एक मात्र उद्देश्य होता है सत्ता प्राप्ति के लिए जनता का वोट हासिल करना. जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. यहाँ तक कि झूठे वादे करने में भी उनको कोई हिचक नहीं होती. झूठे वादे वो वादे होते हैं जिन्हें चाहकर भी पूरा नहीं किया जा सकता.
श्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के लिए प्रचार करते हुए जो वादे किए थे, वे आपको याद होंगे. 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए करीब एक साल तक अपनी पार्टी के लिए प्रचार करते हुए मोदी ने लोगों से ऐसे वादे किए जिन्हें पूरा करना नामुमकिन था.
दरअसल, उन वादों को पूरा करने का उनका कोई इरादा नहीं था। चूंकि उनका लक्ष्य केवल यह सुनिश्चित करना था कि उनकी पार्टी चुनाव जीत जाए, इसलिए उन्होंने वादे किए. जो कुछ भी मन में आया, वही वादा कर दिया उन्होंने.
भरी सभा में चिल्लाकर किये ये वादे
झूठे वादों से जनता में इमोशन पैदा कर मोदी ने उसे खूब झुमाया और नचाया.
वोट दे दे जनता, तुम्हें पैसा मिलेगा
वोट दे दे जनता तुम्हें पैसा मिलेगा
काला धन विदेश से जब भारत आएगा
चोरों का पैसा जो विदेश में जमा है
वो पैसा भारत वापस लाऊँगा, वापस लाऊँगा, वापस लाऊँगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
एक एक पाई पर, गरीब का अधिकार है
एक एक पाई पर गरीब का अधिकार है
तुम्हीं मुझको बता ऐसा है कि नहीं है
काला धन लाऊँगा उसकी बाँट करूँगा
हर गरीब को 15 लाख देऊंगा, 15 लाख देऊंगा, 15 लाख देऊंगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
बैंक में हर गरीब का, खाता खोलवाऊंगा
बैंक में हर गरीब का खाता खोलवाऊंगा
काला धन खाते में जमा करवाऊँगा
15 – 20 लाख सबको यूँ ही मिलेगा
पैसे से सबको मालामाल करूँगा, मालामॉल करूँगा, मालामॉल करूँगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदात मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
एक अपील जिसने निर्दोष जनता को धोखा दिया
जनता की भावनाओं के साथ मोदी ने बहुत खिलवाड़ किया. मोदी के भाषणों में कोई ऑब्जेक्टिविटी नहीं होती. वह केवल सब्जेक्टिव तथ्य जनता के समक्ष रखते हैं. जो वास्तव में कोई तथ्य नहीं होते. इसी क्रम में उन्होने अच्छे दिन लाने का वादा जनता से किया.
तुमने कांग्रेस को दिया, 60 साल की सत्ता
तुमने कांग्रेस को दिया 60 साल की सत्ता
मुझको दे दो केवल 60 माहों का समय
बनूँगा पी एम् अच्छे दिन लाऊँगा
अच्छे दिन लाऊँगा, अच्छे दिन लाऊँगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा, तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
मतदाताओं के साथ छल सत्ता में आने के बाद
चुनाव जीत कर सत्ता में आने के बाद मोदी जी ने अपने कार्य व्यवहार से जनता को एक संकेत दिया. वह था जो बातें और वादे चुनाव के समय की थीं, वे चुनाव तक ही थीं. उनका मतलव था जनता को वादे भूल जाना चाहिए.
अपने मन की बात, मैं रेडियो पर करूँगा
अपने मन की बात मैं रेडियो पर करूँगा
पर मन में क्या है कभी न बोलूंगा
ना प्रधान सेवा ना चौकीदारी
पी एम् बनके तेरी ऐसी तैसी करूँगा, ऐसी तैसी करूँगा, ऐसी तैसी करूँगा
नाच मेरे मतदाता …
नाच मेरे मतदाता मैं तुम्हें नचाऊंगा
तेरे वोट पर मैं कब्ज़ा जमाऊंगा
भाषण कला (Oratory Skill) का प्रदर्शन: भाषणबाजी पर कविता Part 3
मोदी जी शब्दों की बाजीगरी के साथ भाषण कला का प्रदर्शन करते हैं. उनके तथ्यहीन भाषण में भाषण कला के अलावा और कुछ नहीं होता है. उनकी Oratory Skill जनता को लुभावनी लगती है. इस तरह जनता भाषण जाल में फंस जाती है.
2013 में श्री मोदी के पास चुनाव जीतने के बाद अपने वादों को पूरा करने की कोई ईमानदार योजना नहीं थी. इसके विपरीत, उनके भाषणों को सुनने वाले लोगों को पूरा भरोसा था कि वह एक बहुत ही ईमानदार राजनेता थे. भाषण सुनने वालों को पूरा विश्वास था कि मोदी जी अपने वादों को पूरा करेंगे. यह पोस्ट मैंने 24 फरवरी, 2019 को लिखा था. और पाठकों से निवेदन किया था निम्नवत है.
पहले 2013 के वादों पर विचार करें, फिर 2019 के वादों पर विश्वास करें
जनता ने 2019 के वादों पर भी ठीक उसी तरह विश्वास कर लिया जैसे उसने 2014 चुनाव के लिए 2013 के वादों पर किया था. और मोदी 2019 में एक बार फिर PM बने.
अन्य कविताएँ
क्या बोला वेबसाइट अपने पाठकों की सेवा में मुख्यतः कविताएं प्रस्तुत करती है. अतः आप के लिए कुछ और कविताएं निम्न लिंक में समर्पित की जा रही हैं.
आप श्री मोदी का भाषण नीचे दिए गए लिंक में सुन सकते हैं. यह भाषण उन्होंने कांकेर में दिया था जिसमें उन्होंने वादा किया था कि “हर गरीब को 15-20 लाख रुपये मुफ्त में मिलेंगे”.
यह पोस्ट मूलतः इंग्लिश में 24 फेब्रुअरी, 2019 को मैंने लिखा था. इसे हिंदी में ट्रांसलेट करके पुनः 9 नवंबर, 2022 को मैं प्रकाशित कर रहा हूँ.