Loktantra Par Kavita

Loktantra Par Kavita | लोकतंत्र पर कविता

Loktantra Par Kavita यह बता रही है कि भारत के लोकतंत्र का सफर आजतक कैसा रहा है. देश के आजाद होते ही देश का शासन चलाने के लिए देश का अपना संविधान लागू हो गया. यह संविधान देश में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना करता है. इसी लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अनुसार देश में सरकारों की स्थापना होती रही है.

Loktantra Par Kavita – काव्यांश 1

वर्तमान शासनाध्यक्ष अपने पूर्ववर्ती समकक्षों से कुछ कहता हुआ प्रतीत होता. ऐसा लगता है जैसे वह अपने पूर्ववर्तियों का मजाक उड़ा रहा हो. जैसे वह कह रहा हो कि उन्होंने अपने पद को बहुत ही Static बना के रखा था. जैसे वह कह रहा हो कि उसके पहले वाले प्रधान मंत्रियों ने देश के लिए कुछ नहीं किया. इसके साथ ही PM पद का भी सही उपयोग नहीं किया हो. इस पद को कोई Dynamism यानि गति नहीं दिया उन PMs ने. बस PM की कुर्सी पर बैठे रहे.

नीचे के रेक्टेंगल में लिखी हुयी कविता पर एक वीडियो भी उपलब्ध है.

Figure 1: Loktantra Par Kavita 1/3
Figure 1: Loktantra Par Kavita 1/3

मीडिया और धन का दुरूपयोग – काव्यांश 2

वर्तमान में चुनाव पैसे से जीते जाते हैं. जो राजनेता जितने बड़े उद्योगपतियों को अपने पक्ष में कर सकता है. और उनकी दौलत का जितना अधिक उपयोग अपनी रराजनीति चमकाने में कर सकता है. उसकी सत्ता पर पकड़ उतनी ही मजबूत होती है. चुनाव दर चुनाव जीत पर वह अपना एकाधिकार समझने लगता है.

पैसे के बल पर रैलियों में चकाचौंध पैदा करके और भ्रामक भाषणों और मिथ्या लुभावने वादों की बौछार करके वह जनता के सर आँखों पर बैठ जाता है. भ्रामक भाषणों और मिथ्या लुभावने वादों के प्रचार में गोदी मीडिया का रोल बहुत ही अहम् हो गया है.

इसी पर आधारित एक काव्यांश मैंने नीचे के रेक्टेंगल में प्रस्तुत किया है. यह कविता वीडियो के रूप में भी मैंने प्रोडूस किया है.

Figure 2: Loktantra Par Kavita 2/3

अन्धविश्वास को बढ़ावा – काव्यांश 3

इतना ही नहीं, जनता को बहकाने में वह हद को पार कर जाता है.जनता उसे शासनाध्यक्ष ही नहीं भगवान् विष्णु का अवतार तक मानने लगती है.

भारत का संविधान देश में देश में साइंटिफिक टेम्परामेंट के विकास पर जोर देता है. लेकिन इसके विरुद्ध आज का शासक देश में अंध विश्वास का विकास कर रहा है.

Figure 3: Loktantra Par Kavita 3/3

परिणाम स्वरुप इस शासक को जनता भगवान मानने लगी है. और उसके नाम का मंदिर बनाकर उसकी पूजा करने लगी है. ऊपर के रेक्टेंगल में लिखे काव्यांश को मैंने वीडियो के रूप में भी प्रस्तुत किया है.

इस अपडेट में प्रस्तुत कविता सम्पूर्ण कविता का पार्ट 2 है. कविता का पार्ट 1, निम्नलिखितशीर्षक के अंतर्गत एक अन्य अपडेट में मैंने प्रस्तुत किया है.

काव्य गायन की तर्ज

क्या आपको पुरानी हिंदी फिल्मों के गीत पसंद हैं? यदि हाँ, तो आप इस पोस्ट में लिखी कविता को ठीक उसी तरह गा सकते हैं जैसे किशोर कुमार ने निम्नलिखित गीत एक्टर्स जीतेन्द्र और विनोद खन्ना के लिए फिल्म अनोखी अदा में गाया है.

हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम
हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम
आपका मुस्कुराना ग़ज़ब ढा गया

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