UP Chunav Per Hindi Mein Kavita के माध्यम से मैंने उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव परिणामों के बारे में इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर एक राय व्यक्त किया है. कविता का टेक्स्ट नीचे ग्रीन कलर में लिखा हुआ है.
उत्तर प्रदेश और भारत दोनों में एक ही पार्टी की सरकारें उप्र विधान सभा के चुनाव के समय थीं. चुनाव के बाद उप्र में एक बार फिर उसी दल की सरकार बन गयी है. उस दल का नाम है बीजेपी.
देश की सरकार ने उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर बहुत से राजनीतिक निर्णय लिया जिनका सम्बन्ध मतदाता को आर्थिक लाभ पहुंचाना था. इन आर्थिक लाभों से प्रभावित होकर जनता ने बीजेपी को एक बार फिर प्रदेश की सत्ता सौंप दिया.
अब भारत सरकार भविष्य में होने वाले चुनावों में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कुछ ऐसे ही निर्णयों का सहारा लेने जा रही है.
आजकल भारत में राजनीतिक निर्णयों से अर्थनीति का निर्धारण हो रहा है. राजनीति और अर्थनीति दोनों मिलकर चुनाव जीतने की नीति बन गए है. जिससे देश आर्थिक रूप से खोखला हो रहा है. गरीब सदा के लिए गरीब होने की राह पर चल पड़ा है. सत्ताधारी दल सदा के लिए सत्ता पर काबिज होने के लिए काम कर रहा है. यही उसका एकमात्र लक्ष्य है.
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अर्थशास्त्रियों का विचार UP Chunav Per Hindi Mein Kavita के माध्यम से
अर्थशास्त्रियों का है कहना
सब गज़ब हो रहा है
अर्थशास्त्रियों का है कहना
सब गज़ब हो रहा है
नए भारत में आर्थिक निर्णय
राज नीती से हो रहा है
वोट की राजनीति से बिगड़ रही देश की आर्थिक स्थिति
वोट की राजनीति देश को आर्थिक रूप से कमजोर बना रही है, बेरोजगारी बढ़ा रही है और नागरिकों को मुफत खोर और निकम्मा बना रही है.
वोटर का वोट खरीदने पर
पैसा खर्च हो रहा है
मतदाता के अधिकार संग
बड़ा खेल हो रहा है
जनता रहे सदा गरीब
ये षड्यंत्र हो रहा है
नए भारत में आर्थिक निर्णय
राज नीती से हो रहा है
क्या षड्यंत्र हो रहा है? षड्यंत्र हो रहा है कि मुफ्त के सरकारी अन्न के सहारे जिओ, अपने बच्चों के लिए रोजगार की इच्छा मत रखो. पीढ़ी दर पीढ़ी गरीब रहो ताकि सरकार तुम्हें पेट भरने के लिए अन्न देकर अपनी जाल में फंसाये रहे.
क्या तुम मुफ्तखोरी करके अपने मताधिकार को सदा सदा के लिए गिरवी रखना चाहते हो?
चक्रव्यूह रच दिया गया है ताकि तुम सरकार द्वारा किये जा रहे शोषण को समझ न सको और कभी सम्मान जनक जीवन जीने के लिए रोजगार पाने की इच्छा भी न कर सको.
मताधिकार लोकतंत्र में जनता को प्राप्त सम्मान है जिस पर वह गर्व महसूस करती है. इन फैक्ट, नागरिकता का यही उसका प्रथम अधिकार है.
मतदाता ने गिरवी रखा अपना आत्मसम्मान
ऐ मुफतखोर भाई बहनों
बहुत देर हो रहा है
पहिचानों आन मान अपना
जो लुटा जा रहा है
तोड़ दो जंजीर अब अज्ञान की
शोषण घोर हो रहा है
नए भारत में आर्थिक निर्णय
राज नीती से हो रहा है
अब न बेचो सम्मान अपना
क्यों उसे खो रहा है
अब न बेचो सम्मान अपना
क्यों उसे खो रहा है
नए भारत में आर्थिक निर्णय
राज नीती से हो रहा है
मुफ्तखोरी छोडो, रोजगार की मांग करो, सम्मान की जिंदगी जीने के लिए व्यवस्था में बदलाव करो.
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