Congress To Pay Train Fare To Migrants Returning Their Villages

Congress To Pay Train Fare To Migrants

What were Sonia Gandhi’s intentions when she asked Congress to pay train fare to migrants willing to return to their villages?

सोनिया गांधी की मंशा क्या थी जब उन्होंने कांग्रेस से अपने गांवों को लौटने के इच्छुक श्रमिकों को ट्रेन का किराया देने के लिए कहा?

सरकार ने प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा किया. इसके मद्देनजर Sonia Gandhi ने भी एक घोषणा कर दिया. कहा अपने गांवों को लौटने के इच्छुक श्रमिकों को ट्रेन का किराया कांग्रेस देगी. इस आशय का आदेश उन्होंने कांग्रेस को दिया. क्या थी इसके पीछे उनकी मंशा?

Sonia Gandhi Asked Congress To Pay Train Fair To Migrants

प्रधान मंत्री द्वारा घोषित India’s Coronavirus Lockdown ने भारत के शहरों में तबाही मचा दी. तबाही इसलिए मची क्योंकि प्रवासियों ने Lockdown के कारण अपनी नौकरी खो दी.

नौकरी छूट जाने के बाद प्रवासियों की जेब में पैसा नहीं रहा. अपना और अपने परिवार का पेट भरना उनके लिए मश्किल हो गया. मजबूर होकर उन्हें शहर छोड़ अपने गांवों का रूख करना पड़ा. परिणाम यह हुआ कि प्रवासियों की सड़कों पर बाढ़ सी आ गयी. वे अब भी साइकिल, रिक्शा और ट्रक आदि से अपने गाँव की ओर जा रहे हैं. अनौपचारिक साधन अपनाने का कारण यह है कि उनके पास परिवहन के औपचारिक साधन नहीं हैं. यहाँ तक कि बहुत से प्रवासी पैदल भी घर लौटने के लिए गांवों की ओर चल पड़े हैं.

प्रवासियों के पास ट्रैन टिकट का पैसा नहीं

इसके बाद, सरकार ने प्रवासियों को उनके गांवों तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा की. लेकिन प्रवासियों के गांव जाने की समस्या अब भी बनी है. क्योंकि उनमें से बहुतों के पास ट्रेन टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. इसलिए, एक असहज स्थिति अभी भी मौजूद है. क्योंकि वे परिवहन के अनौपचारिक साधनों पर चल रहे हैं. साइकिल चला रहे हैं और पैदल चल रहे हैं. प्रवासियों की दुर्दशा को देखकर सोनिया गांधी ने उन्हें पैसे देकर मदद करने की पेशकश की.

सोनिया गांधी ने यह बयान क्यों दिया कि “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तय किया है कि राज्य कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद मजदूर और कामगार की घर वापसी के लिए ट्रेन यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगी”?

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बार-बार मेहनतकश मजदूरों की इस मुफ्त ट्रेन यात्रा की मांग उठाई है. दुर्भाग्य से न तो सरकार ने सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने. इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रत्येक इकाई प्रत्येक जरूरतमंद मजदूर और कार्यकर्ता की घर वापसी के लिए ट्रेन यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगी. मेहनतकश लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यही योगदान होगा.’

सोनिया गांधी की पहल – Congress To Pay Train Fare To Workers – की समीक्षा

क्या coronavirus lockdown के कारण प्रवासी श्रमिकों को उनके गांवों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार की थी? सरकार लॉकडाउन के बाद प्रवासियों के जीवन पर पड़ने वाले लॉकडाउन के प्रभाव का पूर्वाभास नहीं कर सकी. साथ ही, सरकार ने प्रवासियों के लिए विशेष ट्रेनें चलाईं. लेकिन प्रवासियों के पास अपनी यात्रा का खर्च उठाने के लिए पैसे नहीं थे.

इन परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी ने प्रवासियों की रेल यात्रा का खर्च वहन करने की पेशकश की. तो प्रश्न यह उठता है कि क्या यह मानव सेवा के लिए कांग्रेस का संकल्प है? या यह सिर्फ कांग्रेस का राजनीतिक कदम है? इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मैंने नीचे के पैराग्राफों में कुछ तथ्य प्रस्तुत किए हैं.

क्या प्रवासियों के टिकट के भुगतान के लिए पीएम केयर्स फंड में पैसे नहीं थे? क्या प्रवासी श्रमिकों के लिए टिकट खरीदने से ज्यादा जरूरी एवं महत्वपूर्ण और कुछ था? पीएम केयर्स फंड से क्या प्रवासियों के टिकट का पैसा नहीं दिया जा सकता था? आखिर यह फंड किस लिए बनाया गया था?

ट्रेनों की मालिक सरकार है. पीएम केयर्स फंड सरकार के पास है. ऐसे में प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन से उनके गांव भेजने के लिए सरकार को और क्या संसाधन चाहिए थे?

प्रवासियों के दर्द को महसूस करने में विफल रही सरकार

सरकार ने स्पेशल ट्रेनें चलाईं. लेकिन श्रमिकों के पास ट्रेनों में चढ़ने के लिए टिकट के पैसे नहीं थे. फिर वे ट्रेन में कैसे चढ़ते? सरकार दो में से कोई एक उपाय कर सकती थी. वे उपाय हैं 1. सरकार उन्हें मुफ्त ट्रेन यात्रा की अनुमति देती और 2. टिकट खरीदने के लिए पैसे देती. अन्यथा स्पेशल ट्रेनें उनके किस काम की थीं? पीएम केयर्स फंड उनके लिए PM Doesn’t Care Fund क्यों बन गया? पीएम केयर्स फंड किसके लिए बनाया गया था? यह फंड क्या प्रवासियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता था?

क्या मजदूरों को उनके गांवों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार की थी? कांग्रेस का प्रवासियों के टिकटों के भुगतान का प्रस्ताव क्या मानव सेवा के लिए एक प्रस्ताव है? या यह महज एक राजनीतिक कदम है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए मैं नीचे कुछ तथ्य पेश कर रहा हूं।

100 करोड़ खर्च हुए ट्रम्प पर लेकिन मजदूरों की घर वापसी के लिए PM Cares Fund में पैसा नहीं

नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम भारत में हुआ. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत का कुछ घंटों का प्रोग्राम था. इस पर चंद घंटों में मोदी सरकार ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए.

अब, एक अनुमान लगाते हैं कि प्रवासी कामगारों को उनके गांवों तक पहुंचाने के लिए सरकार को कितना पैसा खर्च करने की जरूरत है? मान लेते हैं कि एक मजदूर के ट्रेन टिकट की औसत कीमत 1000 रुपये है।

इस दर से सरकार 10 लाख प्रवासियों को उनके गांव भेजने के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करती. और इतना ही पैसा सरकार ने भारत में ट्रम्प के स्वागत पर खर्च कर दिया. इसका मतलब सरकार ने एक ट्रम्प के स्वागत पर जितना पैसा खर्च किया उतने ही पैसे में 10 लाख मजदूरों को उनके गांव भेज सकती थी.

यदि सरकार ने ऐसा किया होता तो देश के शहरों और सड़कों पर अफरा तफरी और दहशत नहीं फैलती. साथ ही, नेता और राजनीतिक दलों के प्रवक्ता अपनी पार्टी या सरकार के रुख को सही ठहराने के लिए टीवी चैनलों पर मौखिक लड़ाई में शामिल नहीं होते. मान लिया सरकार ने पैसा खर्च नहीं करना चाहा या सरकार के पास पैसा नहीं था. तो क्या सरकार के पास ट्रेनें भी नहीं थीं? ट्रेनों का मालिक भी सरकार ही है न? सरकार ट्रेनें चला सकती थी. ऐसा करके, आसानी से प्रवासी कामगारों को उनके गांव पहुंचा सकती थी. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया क्यों कि उसने करना ही नहीं चाहा.

कांग्रेस ने किया सराहनीय कार्य

उपरोक्त परिस्थितियों में प्रवासियों के टिकट का भुगतान करने की कांग्रेस की पहल बिल्कुल सही है। हालांकि इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है.

प्रश्न यह उठता है कि क्या ऐसा करके कांग्रेस अपने लिए कोई राजनीतिक लाभ उठाना चाह रही है? इस प्रश्न का उत्तर यह है कि प्रत्येक राजनीतिक दल एक राजनीतिक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए राजनीति में है. और वह लक्ष्य सत्ता प्राप्त करना है. इसलिए यह संभव और स्वाभाविक है कि कांग्रेस भी प्रवासियों के साथ सहानुभूति दिखाकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहेगी.

ये मजदूर देश के नागरिक हैं और भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. ऐसे हाल में अगर सरकार ट्रम्प के साथ हो सकती है तो प्रवासी मजदूरों के साथ क्यों नहीं? आप को याद होगा सरकार ने देश की जनता की कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा खर्च करके हाल ही में ट्रम्प का स्वागत किया था.

लाकडाउन की परिस्थितियां भीषण थीं. इन हालात में, कांग्रेस ने प्रवासियों की आर्थिक मदद की पेशकश करके उनका सम्मान किया. उसने प्रवासियों को उनके गांवों तक पहुंचाने में मदद करने की पेशकश करके करके उनका साथ दिया. स्पष्ट है कांग्रेस ने सराहनीय कार्य किया.

सत्तारूढ़ दल ने भाजपा मुख्यालय के लिए 700 करोड़ रुपये खर्च किए But There Was Congress To Pay Train Fare For Migrants

सत्तारूढ़ दल 700 करोड़ रूपये से अधिक लागत से बीजेपी मुख्यालय के लिए दिल्ली में भवन बनाती है. इसके लिए उसके पास धन है. लेकिन प्रवासी श्रमिकों को उनके घर भेजने के लिए सरकार के पास 100 करोड़ रुपये नहीं हैं.

अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार की प्राथमिकता क्या है? राजनीति या जरूरतमंदों की एक समय की जरूरत.

सरकार के प्रवासी मजदूरों के प्रति व्यवहार से क्या निष्कर्ष निकलता है? स्पष्टतः भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो जनता का उपयोग केवल राजनीति के लिए करती है.

या आप कह सकते हैं कि यह पार्टी सत्ता में आने और सत्ता में बने रहने के लिए जनता को धोखा ही देती है.

सरकार ने प्रवासियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई. इसलिए कांग्रेस की मजदूरों के टिकट के पैसे देने की पहल सही है.

Congress To Pay Train Fare Continues In The Next Update

यह स्टोरी अगले अपडेट में जारी रहेगी.

This post was published in English on May 18, 2020.



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