Farmers Protest

Farmers Protest In India | कृषि कानूनों का विरोध

साथियों, भारत में एक और जहाँ Farmers Protest जारी है वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी 29 नवंबर, 2020 को रेडियो पर मन की बात में देश से बात करते हैं। मोदी जी की मन की बात जहां 30 मिनट तक चलती है, वहीं यह अपडेट लिखे जाने के दिन, 19 दिसंबर, 2020 को, किसान आंदोलन अपने चरम पर है.

Farmers Protest In India Against New Farm Laws

किसान आंदोलन कुछ महीने पहले सितंबर, 2020 में अस्तित्व में आए नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में शुरू हुआ. किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और सरकार से उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

मन की बात में Farmers Protest का कोई उल्लेख नहीं

जैसे ही हरियाणा और पंजाब के किसानों ने कानूनों के विरोध में दिल्ली की ओर कूच किया, सरकारी तंत्र ने दिल्ली सीमा पर सभी सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभी प्रयास किए. किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बीच 29 नवंबर को प्रधानमंत्री ने रेडियो पर देश को संबोधित किया.

मन की बात कार्यक्रम में अपने संबोधन में श्री मोदी ने किसानों के मुद्दों का बिल्कुल भी उल्लेख नहीं किया. उन्होंने कई अन्य बातों के अलावा दो कहानियाँ सुनाईं. मैं उन कई अन्य बातों के बारे में विस्तार से नहीं बताऊंगा जिनके बारे में उन्होंने बात की क्योंकि वे उन दो कहानियों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक महत्वहीन हैं. इस अपडेट में मैं इन्हीं दो कहानियों के बारे में बात करने जा रहा हूँ.

Farmers Protest जारी और अन्नपूर्णा भारत वापस लौटी

श्री मोदी ने अपने संबोधन में देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति के बारे में बात की. उन्होंने राष्ट्र को बताया कि अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मूर्ति को वापस लाया जा रहा है.

श्री नरेंद्र मोदी ने लोगों का ध्यान देवी अन्नपूर्णा की एक मूर्ति की ओर आकर्षित किया, जिसे लगभग 100 साल पहले 1913 में वाराणसी के एक मंदिर से चुराकर देश से बाहर भेज दिया गया था. उन्होंने मूर्ति को भारत वापस भेजने में मदद करने के लिए कनाडा सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया. साथ ही उन्होंने उन लोगों का भी शुक्रिया अदा किया जो मूर्ति को वापस दिलाने में मदद कर रहे थे. जहाँ एक ओर श्री मोदी ने अन्नपूर्णा को वापस लाने में मदद करने वालों के प्रति आभार व्यक्त किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अन्नदाता किसानों का तिरस्कार किया.

संविधान में उल्लिखित Scientific Temperament की भावना के विरुद्ध मन की बात

वैज्ञानिक मिजाज के इस दौर में अन्नपूर्णा की वापसी, मोदी जी के अनुसार, भारतीयों के लिए गर्व की बात है. इसके विपरीत, मैं कहूंगा, खोई हुई या चोरी हुई मूर्ति को पुनः प्राप्त करके उत्साहित होना केवल अंधविश्वास की बात है.

एक मूर्ति पर गर्व महसूस करना और अन्नदाता किसानों की अवहेलना करना, देश को बर्बाद करने की दिशा में मोदी जी द्वारा जाने अनजाने में उठाया गया एक कदम साबित होगा. एक बेजान मूर्ति की पूजा करने की वकालत करना और किसानों का अपमान करना उस वैज्ञानिक स्वभाव के बहुत खिलाफ है जिसे हमारा संविधान लोगों में पैदा करना चाहता है. देश को समृद्ध बनाने के लिए यह आवश्यक है कि भारत के किसान समृद्ध हों. और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए, सरकार के कृत्य उनके पक्ष में होने चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के मुखिया पीएम ने किसानों की अनदेखी की और मूर्ति की महिमा की.

कैसे नए कृषि कानूनों ने एक किसान को अपना पैसा वसूल करने में मदद की?

अपने मन की बात में, श्री नरेंद्र मोदी ने एक और कहानी सुनाई. उन्होंने राष्ट्र को बताया कि कैसे महाराष्ट्र में एक किसान ने सरकार के नए कृषि कानूनों के प्रावधानों का इस्तेमाल कर एक ऐसे व्यापारी से अपनी फसल की कीमत पाने में सफलता हासिल किया जो उसे उसकी फसल की कीमत दे नहीं रहा था.

अपने मन की बात में, श्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से कहा कि महाराष्ट्र के धुले के एक किसान जीतेंद्र भोईजी ने कृषि कानूनों के प्रावधानों का इस्तेमाल किया. श्री मोदी उन नए कृषि कानूनों का जिक्र कर रहे थे जिनका पूरे भारत के किसान विरोध कर रहे हैं. श्री मोदी ने रेडियो पर अपना भाषण देते हुए देशवासियों से कहा कि एक व्यापारी ने मक्के की फसल एक किसान जीतेंद्र से खरीदी थी. व्यापारी किसान को उसकी फसल की कीमत नहीं दे रहा था. इसके बाद, किसान ने नए कृषि कानूनों का इस्तेमाल किया और व्यापारी ने कुछ दिनों के भीतर उसे पैसे का भुगतान कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून का सही और पूरा ज्ञान ही जीतेंद्र की ताकत बना.

Farmers Protest March को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं

इधर दिल्ली बॉर्डर्स पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के विरुद्ध सरकार की कार्रवाई कुछ और कहानी कहती है. सरकार ने देश के किसानों, अन्नदाता, को दिल्ली शहर में प्रवेश करने से रोक दिया. दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए. उन्होंने सड़क पर गड्ढे खोदे और ट्रक खड़े कर दिए ताकि विरोध कर रहे किसानों का दिल्ली में प्रवेश बाधित हो. साथ ही, पुलिस ने किसानों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.

साथियों, ऐसा लगता है कि श्री मोदी का उद्देश्य लोगों को यह संदेश देना था कि अन्नपूर्णा खाद्यान्न भंडार भरने के लिए है. जाहिर तौर पर श्री मोदी ने अपने मन की बात में लोगों से कहा कि अन्नपूर्णा अपनी दिव्य शक्ति से खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी और इस प्रकार, देश को बीज और सिंचाई पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा. इसलिए देश को खाने के लिए किसानों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. ऐसे में श्री मोदी किसानों की मांगों पर कोई ध्यान क्यों दें? साथ ही, श्री मोदी विरोध करने वाले किसानों से कह रहे हैं कि वे अपनी अज्ञानता और मूर्खता के कारण विरोध कर रहे हैं.

इस अपडेट को मैंने 24 दिसंबर, 2020 को इंग्लिश में पब्लिश किया था. चूँकि मेरे पाठक मूलतः हिंदी भाषी हैं, इस लिए मैं इसे हिंदी में पुनः पब्लिश कर रहा हूँ. 

एक साल बाद कृषि कानून को सरकार ने वापस लिया

आज के दिन जब मैं जब एक साल बाद हिंदी में यह अपडेट पुनः पब्लिश कर रहा हूँ, कृषि कानून सरकार द्वारा वापस लिए जा चुके हैं.


कृषि कानून वापस लेने को कृषि मंत्री ने मोदी जी का ऐतिहासिक बड़प्पन बताया है.

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