मैं आपको बताने जा रहा हूं कि कैसे Priyanka Gandhi का नाम अब प्रियंका गांधी नहीं रहा. उनका नाम अब प्रियंका ट्विटर वाड्रा है. यह नया नाम उन्हें मैंने नहीं दिया. आप सोच रहे होंगे वह कौन है जिसने उन्हें यह नाम दिया? वास्तव में, उनका नाम नाम बदलने वाले ने लखनऊ में खुद मीडिया को उनके नए नाम की जानकारी दी. वह खुद प्रियंका गांधी नहीं हैं जिन्होंने अपना नाम बदला. प्रियंका का नाम बदलने वाला उनकी माँ या उनके परिवार का कोई अन्य सदस्य भी नहीं है. न ही उनका नाम बदलने वाला कोई करीबी रिश्तेदार या उनके मित्र मंडली का व्यक्ति है. यहां तक प्रियंका गाँधी का नाम बदलने वाला शख्स शायद उनसे कभी मिला भी नहीं होगा. अब आप सोच रहे होंगे कि उसका नाम बदलने वाला और कौन हो सकता है? और आखिर उस शख्स को प्रियंका गांधी का नाम बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?
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प्रियंका का नया नाम है Priyanka Twitter Vadra
दोस्तों, मैं आपको Priyanka Gandhi के नाम परिवर्तन की खबर नहीं दे रहा हूं. मैं केवल यह समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि जिसने भी उनको नया नाम दिया है, उसने अवैध और अनैतिक व्यवहार किया है. और वो हैं उत्तर प्रदेश के केशव प्रसाद मौर्य नाम के मशहूर शख्स. मैं जानबूझकर केशव प्रसाद मौर्य को केवल एक प्रसिद्ध व्यक्ति कह रहा हूं. मैं आपको बाद में बताऊंगा कि उत्तर प्रदेश सरकार में उनकी पोजीशन क्या है.
प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम बदलने की बात करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से कहा, ”हमने ‘प्रियंका ट्विटर वाड्रा’ नाम रखा है” उनका.
जैसा कि आप जानते हैं भारत में प्राचीन काल से यह परंपरा रही है कि जब परिवार में बच्चे का जन्म होता है तो उसके माता-पिता नामकरण संस्कार करते हैं और उसे एक नाम देते हैं. बच्चा चाहे लड़की हो या लड़का जीवन भर इसी नाम से जाना जाता है. कुछ दुर्लभ मामलों में, यदि बच्चे को बाद में किसी भी कारण से अपना नाम बदलने की आवश्यकता होती है, तो वह कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ऐसा कर सकता है. इसके लिए व्यक्ति को सक्षम अधिकारी के कार्यालय में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होता है. इस कानूनी व्यवस्था के अलावा नाम बदलने का कोई दूसरा तरीका नहीं है. कोई अन्य व्यक्ति उसका नाम बदलने के लिए आवेदन नहीं कर सकता. न ही कोई दूसरा व्यक्ति नाम बदलने का सुझाव दे सकता या ऐसा करने का निर्देश दे सकता.
फिर केशव प्रसाद मौर्य कहां से टपक पड़े प्रियंका गांधी का नाम बदलकर प्रियंका ट्विटर वाड्रा करने के लिए? उन्होंने किस हैसियत से प्रियंका गांधी का नाम प्रियंका ट्विटर वाड्रा रखा? क्या वह एक सक्षम पद पर काबिज हैं जिसके समक्ष प्रियंका गांधी ने नए नाम के लिए आवेदन किया था? और यदि ऐसा नहीं है, तो क्या केशव प्रसाद मौर्य ने आदेश जारी किया कि प्रियंका गांधी को अपना नाम बदलकर प्रियंका ट्विटर वाड्रा कर लेना चाहिए?
जहां तक मेरी जानकारी है, किसी भी सभ्य समाज या देश में किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति का नाम बदलने का अधिकार नहीं है. केशव प्रसाद मौर्य मुझे अपने व्यवहार से प्रेरित कर रहे हैं कि मैं उन्हें एक एक नया नाम दे दूँ. लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा. क्योंकि मैं जानता हूं कि संविधान द्वारा स्थापित राज्य में उनका नाम बदलने का मेरा कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
Priyanka Gandhi पर केशव का बयान अनैतिक और गैरकानूनी व्यवहार को बढ़ावा देता है
केशव प्रसाद मौर्य जी! आप एक सार्वजनिक हस्ती हैं. आपके कार्य, आचरण, व्यवहार और विचार समाज के अधिकांश लोगों के कार्यों, आचरण, व्यवहार और विचारों को प्रभावित करते हैं. यदि आप कोई अनैतिक और गैर कानूनी व्यवहार करते हैं, तो समाज में बहुत से लोग ऐसा करने के लिए प्रेरित होंगे. इससे समाज में अनैतिकता और गैर कानूनी व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा. यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति दूसरों का नाम बदलने लगे तो किसी व्यक्ति के सही नाम को लेकर लोग भ्रमित होंगे. लोगों को किसी के नाम पर भरोसा नहीं होगा. नाम परिवर्तन करने का यह व्यवहार एक नई तरह की अराजकता को जन्म देगा.
Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi और दूसरों को अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य को अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए”.
मैं श्री केशव प्रसाद मौर्य को बताना चाहूंगा कि अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी हुयी है तो वह उसकी निजी समस्या है. व्यक्ति की समस्या उसकी निजता से जुड़ी होती है. एक व्यक्ति की निजता का खुलासा करके आपने पारंपरिक शब्दों में अनैतिक व्यवहार किया. और आधुनिक नागरिक समाज के मानदंडों के अनुसार, आपने राज्य के गोपनीयता कानून (Privacy Law) का उल्लंघन किया है. और किसी भी राज्य के कानून का उल्लंघन एक अपराध है. आप कैसे जानते हैं कि प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं की आंखों में एक बीमारी है? क्या आप एक डॉक्टर हैं जो नेत्र रोगों का इलाज करते हैं? क्या ये सभी लोग आपसे आंखों की जांच के लिए आपके पास आए थे? भले ही आप एक डॉक्टर हों और ये सभी लोग अपनी आंखों की जांच कराने के लिए आपके पास आए हों, आपने उनकी आँखों की जांच किया हो और आपको उनकी दृष्टि में कोई दोष मिला, एक सभ्य राज्य का कौन सा कानून आपको अपने नेत्र रोगियों की समस्याओं को सार्वजनिक करने की अनुमति देता है?
केशव प्रसाद मौर्य का बयान Privacy कानून का उल्लंघन करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है
एक सभ्य राज्य (Civilized State) में किसी भी नागरिक की निजता को उसकी अनुमति के बिना सार्वजनिक करना अपराध होता है और कानून ऐसे व्यवहार के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है. केशव जी, यदि आप जैसा व्यक्ति इस प्रकार का अपराध करता है तो यह समाज में एक स्थापित व्यवहार (Established Behaviour or Norm) बन जाता है. इस प्रकार, यह एक Institutionalized Evasion बन जाता है. यानी इस तरह के व्यवहार को, गलत व्यवहार होने के बावजूद, स्वीकृति मिल जाती है. इस तरह राज्य के कानून की नजर में अपराध होते हुए समाज में एक आपराधिक व्यवहार को स्वीकार किया जाता है. यह देश के कानून का उल्लंघन करने की प्रवृत्ति को जन्म देता है.
श्री केशव प्रसाद मौर्य, मैं आपको एक उदाहरण के साथ निजता (Privacy) समझाने की कोशिश करूंगा. मान लीजिए, एक व्यक्ति ने शादी नहीं किया, या शादी करके तलाक़ दे दिया, या तलाक़ दिए बिना अपनी स्पाउस से अलग रहता/ रहती है. यह उस व्यक्ति की निजी पसंद है. साथ ही इसका संबंध व्यक्ति की निजता से भी है. किसी को भी उसकी व्यक्तिगत स्थिति पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. आपको भी इस पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. अगर कोई ऐसा करता है या आप ऐसा करते हैं तो निश्चित तौर पर यह उस व्यक्ति की निजता का उल्लंघन है. साथ ही यह राज्य के निजता कानून का भी उल्लंघन है. और राज्य का कानून इसे अपराध मानता है जिसके लिए सजा का प्रावधान है.
हमें हर व्यक्ति – देश का आम नागरिक, प्रियंका, राहुल, कांग्रेस के अन्य नेता और मोदी, योगी आदि – की निजता का सम्मान करना चाहिए. किसी भी व्यक्ति को निजता कानून का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. और जो भी निजता कानून का उल्लंघन करे उसे कानून द्वारा निर्धारित सजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए.
इस लेख में मैंने श्री केशव प्रसाद मौर्य का उल्लेख एक जाने-माने व्यक्ति के रूप में किया है. बहरहाल, मैं आपको बता दूं कि एक जाना – माना व्यक्ति होने के बावजूद वे उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री भी हैं. यहाँ मैं आप को यह भी बता दूँ कि उप मुख्यमंत्री एक प्रांत की सरकार में एक पद है जिसका संविधान में कोई उल्लेख नहीं है. यानी इस पद पर आसीन व्यक्ति को उस पद से सम्बंधित कोई अधिकार नहीं प्राप्त होता है. यह पद पिछले एक दशक या या संभवतः दो दशकों के दौरान कुछ राजनीतिक असंतुष्टों को खुद को मुख्यमंत्री के समकक्ष मानने के लिए सांत्वना देने के लिए बनाया गया था.
जब किसी पद पर आसीन व्यक्ति के पास पद से संबंधित अधिकार और कर्तव्य नहीं होते हैं, तो वह गैर-जिम्मेदार, अनैतिक और गैरकानूनी बात करेगा ही. और यही किया श्री केशव प्रसाद मौर्या ने.