भारत के दो फ़क़ीर

भारत का एक फ़क़ीर आजकल बहुत चर्चा में है. इस बात पर याद आता है गाँधी जी का नाम. गाँधी जी को चर्चिल ने नंगा फ़क़ीर कहा था. भारत के दो फ़क़ीर हैडिंग के अंतर्गत यह लेख संलग्न वीडियो का टेक्स्ट है.

एक अधनंगा फ़क़ीरऔर दूसरा सूटबूट पहना हुआ फ़क़ीर

भारत के दो फ़क़ीर – एक हाफ नेकेड फकीर जो कमर के ऊपर कपडे नहीं पहनता था. दूसरा सूट बूट पहना हुआ फ़क़ीर जो सज धज के फ़कीरी करता है. ये दो फ़क़ीर कौन हैं?

भारत के दो फ़क़ीर: मोदी फ़क़ीर और महात्मा गांधी फ़क़ीर
  1. एक फ़क़ीर थे ये – महात्मा गांधी जी और दूसरा फ़क़ीर हैं ये – माननीय … बस आगे बोलने की जरूरत नहीं है. आखिर फ़क़ीर को माननीय कौन कहता है? लेकिन ये स्पेशल फ़क़ीर हैं इसलिए मैंने माननीय कह दिया. और ये स्पेशल इसलिए हैं कि अभी तक कोई इनके जैसा फ़क़ीर नहीं हुआ. ऐसा फ़क़ीर कोई क्यों नहीं हुआ ये मैं आगे बताऊंगा.
  2. और ये दोनों लोग फ़क़ीर कैसे कहलाये ये भी मैं आगे बताने जा रहा हूँ.
  3. 1931 में इनको [महात्मा गांधी को] Seditious Fakir या राजद्रोही फ़क़ीर कहा था ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर विंस्टन चर्चिल ने क्योंकि ये भारत को आज़ाद कराने के लिए जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलित कर रहे थे. इन्होने भारत को आज़ाद कराने के लिए जनांदोलन का नेतृत्व किया था. इस फ़क़ीर के जीवन का उद्देश्य भारत के लिए अंग्रेजों से आज़ादी जीतना था.

और इन्होने [नरेंद्र मोदी ने] खुद ही अपने को फ़क़ीर कहा. इनके जीवन का उद्देश्य जनता के बीच फकीरी का गाना गाकर या रोना रोकर जनता का वोट लेना और अपने लिए कुर्सी पाना रहा है. इन्होने सत्ता से बाहर रहकर कभी भी कोई समाज सेवा नहीं किया है. ये केवल सत्ता के लिए फ़क़ीर हैं.

  • विंस्टन चर्चिल ने इनको [महात्मा गांधी को] अध् नंगा फकीर अर्थात हाफ नेकेड फकीर कहा था क्योंकि इनका आधा शरीर कपडे से ढका नहीं रहता था. इनका पहनावा खादी धोती, गोल फ्रेम का चश्मा और हाथ में एक डंडा होता था.

ये [नरेंद्र मोदी] चूड़ीदार पजामा, प्रेस किया हुआ कुर्ता और जैकेट पहनते हैं. इनका ड्रेस सबसे अच्छी क्वालिटी के महंगे कपडे से बना होता है. ये सज धज के फ़कीरी करते हैं.

  • गांधी जी की विनम्रता देखिये. चर्चिल ने अधनंगा फकीर कहकर उनका मजाक उड़ाया था. लेकिन गांधी जी ने चर्चिल की इस अभिव्यक्ति को अपनी प्रशंसा और सम्मान के रूप में लिया. उन्होंने महसूस किया कि वह फ़क़ीर कहलाने के योग्य नहीं थे और वह भी एक नंगा फकीर. गांधी जी के अनुसार नंगा फ़क़ीर होना एक बड़ा मुश्किल काम था. कठिन काम से उनका मतलब एक बड़ी तपस्या से था. जवाब में गांधी जी ने चर्चिल से निवेदन किया: मेरा विश्वास कीजिये और मेरा उपयोग अपने और मेरे लोगों के लिए कीजिये और इन सभी लोगों के द्वारा पूरे विश्व के लोगों के लिए कीजिये. चर्चिल से महात्मा गांधी जी ने निवेदन किया था कि वह उनकी फ़कीरी का उपयोग पूरी दुनिया की भलाई के लिए करें.

माननीय [नरेंद्र मोदी] का अहंकार देखिये. ये आचार, विचार, पहनावा, रहन सहन एवं बोल चाल किसी भी रूप में फ़क़ीर से कोई समानता नहीं रखते हैं. बस जनता की आँखों में ये धूल झोंकते हैं और कहते हैं, “मैं फ़क़ीर हूँ”. सीनाजोरी से ये अपने को फ़क़ीर कहते हैं. 56 इंच का सीना जो है इनका. इन माननीय फ़क़ीर ने अपने को फ़क़ीर केवल वोट पाने के लिए कहा था न कि  जनता की भलाई के लिए अपने को फ़क़ीर बताया था.

मुझे माफ़ करिएगा गांधी जी और मोदी जी की तुलना करने के लिए. एक साथ इनका नाम लेना बिलकुल उचित नहीं है. लेकिन फ़क़ीर शब्द के कारण ये दोनों नाम मैं एक साथ ले रहा हूँ.

एक सत्ता से विरक्त और दूसरा सत्ताधारी – ये हैं भारत के दो फ़क़ीर

  • ये [महात्मा गांधी] वो फ़क़ीर हैं जो कभी किसी पद पर नहीं रहे न ही किसी पद की इच्छा किये. केवल देश को आज़ाद कराने की लड़ाई लड़े और समाज सेवा किया. देश को इन्होने आज़ाद कराया भी.

ये [नरेंद्र मोदी ने] मुख्यमंत्री रहे, प्रधान मंत्री हैं. माननीय फ़क़ीर के आज़ाद भारत में देश की संस्थाएं भी आज़ाद नहीं हैं. ये देश सेवा नहीं वोट कंसोलिडेट करने का काम करते हैं.

  • यह फ़क़ीर [महात्मा गांधी] सेप्टेम्बर, 1931 में सेकंड राउंड टेबल कांफ्रेंस अटेंड करने लंदन गया था. वह किंग जॉर्ज फिफ्थ से अपने ट्रेडिशनल भारतीय ग्रामीण पोशाक में ही मिला. पहले तो राजा ने इस ‘विद्रोही फ़कीर’ से मिलने से इनकार कर दिया था. गांधी भी इस बात पर अड़ गए थे कि वो राजा से मिलने धोती और अपनी खादी की शॉल में ही जाएंगे.” और अंत में वह उसी कपडे में राजा से मिले भी.

उस समय गाँधी जी से किसी ने प्रश्न पूछा था, “क्या आप समझते हैं कि शाही मुलाक़ात के लिए आपका परिधान उपयुक्त था”, गाँधी जी का जवाब था, “राजा ने हम दोनों के हिस्से के कपड़े खुद पहन रखे थे.”

जब यह फ़क़ीर [नरेंद्र मोदी] अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से अपने ही देश की राजधानी दिल्ली में मिला तो उसने पहनावे के दिखावे के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस फ़क़ीर ने पहन रखा था ऐसा सूट जिसपर सोने के धागे से उसका नाम अनगिनत बार लिखा हुआ था. फ़क़ीर का शौक आप देख लीजिए. दुनिया में कोई पी एम् या प्रेजिडेंट नहीं होगा जिसने कभी अपने एक ही सूट पर एक नहीं हज़ारों बार अपना नाम सोने के धागे से लिखवाया हो. यह फ़क़ीर मालूम नहीं कितने लोगों के हिस्से के कपड़े अकेले पहनता है. यह फ़क़ीर कहता है हिंदुस्तान की पाई पाई पर गरीब का अधिकार है. इसका मतलब गरीब का अधिकार केवल पाई पर है और 10 लाख के सूट पर अधिकार इस फ़क़ीर का है.

  • गांधी जी ने अपनी फकीरी से जनता में राष्ट्रवाद जगाया. राष्ट्रवाद की भावना जगाकर जनता का सहयोग लिया देश को आज़ाद कराने में.

इस फ़क़ीर [नरेंद्र मोदी] ने जनता का ध्यान देश की समस्याओं से भटकाने के लिए चुनाव सभाओं में राष्ट्रवाद का अलख जगाया. इस फ़क़ीर का राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद नहीं चुनाववाद, कुर्सीवाद या सत्तावाद है.

  • सत्य और अहिंसा इस फ़क़ीर [महात्मा गांधी] का हथियार था. इस हथियार से उसने भारत के लिए अंग्रेजों से आज़ादी जीती.

चुनाव जीतने के लिए यह फ़क़ीर [नरेंद्र मोदी] जनता से झूठ बोलता है, झूठे वादे करता है. लोगों का मानना है कि  इस फ़क़ीर की पार्टी चुनाव जीतने के लिए हिंसा फ़ैलाने से भी परहेज़ नहीं करती.

  1. यह फ़क़ीर [महात्मा गांधी] झूठ बोलने को पाप मानता है.
  2. यह फ़क़ीर [नरेंद्र मोदी] झूठ बोलने के लिए दुनिया में प्रसिद्द है. यह फ़क़ीर 1987 में पहली बार एक स्मार्टफोन से अडवाणी जी का कलर फोटो लिया था और उस फोटो को ईमेल से अडवाणी जी को भेज दिया था. शायद इस फ़क़ीर के झोले में 1987 में एक स्मार्टफोन था. डिजिटल इंडिया का यह प्रणेता दुनिया में स्मार्टफोन आने से पहले ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता था.

गाँधी जी ने अपने हाथ में पकड़ी हुयी लाठी का सहारा लेकर पद यात्रायें किया. और मोदी जी ने लॉकडाउन की घोषणा करके लाखों प्रवासी मजदूरों को पैदल अपने गांव जाने को मजबूर कर दिया.

मुझे माफ़ करिएगा गांधी और मोदी की तुलना करने के लिए. एक साथ इनका नाम लेना बिलकुल उचित नहीं है. लेकिन फ़क़ीर शब्द के कारण ये दोनों नाम मैं एक साथ ले रहा हूँ.

भारत के दो फ़क़ीर शीर्षक के अंतर्गत एक वीडियो मैंने 2 साल पहले पब्लिश किया था. इस अपडेट को मैंने प्रकाशित करने के कुछ समय बाद Unpublish कर दिया था. Unpublish करने का कारन यह था कि मैं उन दिनों हिंदी के लेख का SEO करना नहीं जनता था जिसके फलस्वरूप यह लेख गूगल में इंडेक्स नहीं हो रहा था.

अब जबकि हिंदी कंटेंट का SEO करना मैं सीख गया हूँ, भारत के दो फ़क़ीर लेख को पुनः पब्लिश कर रहा हूँ.



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