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A Poem On Vote For Freebies In Hindi | मुफ्तखोरी के बदले वोट पर कविता
A Poem On Vote For Freebies In Hindi के माध्यम से मैंने इस तथ्य को आपके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश किया है कि भारत देश की भोली भाली जनता नमक खाकर कभी नमक हरामी नहीं करती. जिसका खाती है उसी का बाज़ा बजाती है. नमक खाती है तो नमक का कर्ज भी वोट देकर…