भारत में भावना प्रधान सियासत के दो अवतार हुए हैं. और ये दोनों ही दामोदर नामधारी हैं.
पहले अवतार विनायक दामोदर सावरकर थे जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अवतरित हुए. उन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया.
दूसरा अवतार नरेंद्र दामोदर मोदी हैं जो वर्तमान में आज़ादी की लड़ाई का फल भोग रहे हैं. Narendra Damodar Par Kavita शीर्षक के अंतर्गत कविता के माध्यम से मैंने इन्हीं दो अवतारों के चरित्र का वर्णन किया है.
कविता ग्रीन कलर के टेक्स्ट में नीचे लिखी हुयी है.
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विनायक दामोदर सावरकर पर कविता
विनायक दामोदर सावरकर ने राजनीतिक हिंदुत्व की स्थापना की थी. यह हिंदुत्व हिन्दू धर्म और हिन्दू आस्था से अलग एक विचारधारा है.
भारत देश में सत्तारूढ़ बीजेपी इसी विचारधारा की राजनीति करती है. यह पार्टी इसी विचारधारा के आधार पर एक नए भारत के निर्माण का सपना देखती है.
आज उग्र हिंदू राष्ट्रवाद के एजेंडे पर चलने वाली पार्टी सत्ता में है. इसलिए हिंदुत्व और उसके प्रणेता वीडी सावरकर पर विचार करना ज़रूरी लगता है.
सावरकर हिंदुत्व के जन्मदाता हैं. यह हिंदुत्व हिंदू और मुसलमानों में फूट डालने वाला साबित हुआ. मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्र के सिद्धांत ने अंग्रेजों की ‘बांटो और राज करो’ की नीति में सहायता की थी. अंग्रेजों की ऐसी ही सहायता सावरकर के हिंदुत्व ने भी किया.
दामोदर सावरकर पर कविता : लिखा माफीनामा, स्वीकारा गुलामी
प्रस्तुत हैं सावरकर के चरित्र पर कविता की कुछ पंक्तियाँ. यदि आप कविता का टेक्स्ट पढ़ना नहीं चाहते हैं तो इसकी वीडियो यूट्यूब पर देख सकते हैं.
एक था दामोदर माफीनामा लिख दिया
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
एक था दामोदर माफीनामा लिख दिया
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
कौन था दामोदर माफीनामा लिख दिया
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
कौन था दामोदर माफीनामा लिख दिया
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
वह दामोदर जिसने अंग्रेजी हुकूमत से माफ़ी माँगा और उसकी गुलामी स्वीकार किया उसका संक्षिप्त परिचय
कविता की अगली पंक्तियों में वर्णित है. Narendra Damodar Modi Par Kavita शीर्षक के अंतर्गत अभी हम केवल विनायक दामोदर सावरकर के माफीनामा की चर्चा कर रहे हैं.
पूरा नाम उसका है दामोदर सावरकर
जेल से अंग्रेजों को दी माफीनामा लिखकर
हुकूमत के सामने समर्पण किया
वफादार रहने का वादा किया
एक था दामोदर माफीनामा लिख दिया
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
याचिका दया की पहले 5 बार दिया था
जिन्हें हुकूमत ने नामंजूर कर दिया था
जेल में यातना न झेल सका
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
अंग्रेजी हुकूमत ने स्वीकार किया सावरकर की अर्जी
वह दामोदर जिसका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था अंग्रेजी हुकूमत से 5 बार माफ़ी मांग चुका था. और पांचो बार उसकी माफ़ी की अर्जी नामंजूर कर दिया था हुकूमत ने.
तब उसने छठी बार माफीनामा लिखा और हुकूमत का वफादार रहने का वचन दिया. जिसके बाद वह जेल से निकलकर बाहर आया. प्रस्तुत हैं Narendra Damodar Modi Par Kavita अगली पंक्तियाँ.
छठी बार उसने माफीनामा जब लिखा
आन मान अपना समर्पण किया
उसने लिखा यदि मैं रिहा हो गया
हुकूमत का कट्टर मैं समर्थक रहूँगा
अंग्रेजों का दिल उसने जीत लिया
जेल से रिहाई अंग्रेजों ने कर दिया
कौन था दामोदर माफीनामा लिख दिया
अंग्रेजों की गुलामी वो कबूल किया
Narendra Damodar Das Modi पर कविता
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हिन्दू राष्ट्रवादियों की भूमिका ने आंदोलन को बहुत बड़ी हानि पहुँचाया था. फिर भी यह आंदोलन सफल हुआ. और देश को आज़ादी मिली. लेकिन हिन्दू राष्ट्रवादियों का वह हिंदुत्व आज भी जिन्दा है.
वर्तमान में यह विभाजनकारी हिंदुत्व भारत पर शासन कर रही राजनीतिक पार्टी का नीति निर्धारक तत्व बन गया है. कम से कम विचार धारा के स्तर पर यह हिंदुत्व बीजेपी की नीतियों का मार्ग दर्शन कर रहा है.
देश की भलाई की दिशा में सरकार काम नहीं कर रही है. हिंदुत्व की भ्रमित करने वाली विचारधारा का प्रचार हो रहा है. ऐसा करके यह सरकार केवल आने वाला हर चुनाव जीतना चाह रही है.
देश में प्रजातंत्र के नाम पर बस चुनाव प्रक्रिया ही रह गयी है. चुनाव जीतने के बाद सरकार की फंक्शनिंग में कोई लोकतंत्र नहीं दिखता। कविता की अगली पंक्तियाँ मोटे तौर पर यही तथ्य व्यक्त कर रही हैं. इस काव्यांश की वीडियो यूट्यूब पर आप देख सकते हैं.
आज एक दामोदर चुसके आम खा रहा
फ़िल्मी अभिनेता को इंटरव्यू दे रहा
कौन है दामोदर चुसके आम खा रहा
फ़िल्मी अभिनेता को इंटरव्यू दे रहा
कौन है दामोदर चुसके आम खा रहा
फ़िल्मी अभिनेता को इंटरव्यू दे रहा
पूरा नाम उसका मोदी दामोदर नरेंदर
मीडिया से रहता है वो दूर हटकर
डेमोक्रेटिक सत्ता के शिखर पर बैठा
गैरजिम्म्मेदारी से शासन है कर रहा
यही है दामोदर चुसके आम खा रहा
फ़िल्मी अभिनेता को इंटरव्यू दे रहा
सरकार का मुखिया केवल भाषण बाजी करता है. भाषण बाजी उसका मुख्य और प्रथम काम है.
उसका प्रमुख काम है भाषणबाजी करना
मन की बात करना नहीं किसी की सुनना
देश की आज़ादी का सुख भोग है रहा
आज एक दामोदर चुसके आम खा रहा
दोनों दमोदरों ने अपने कार्य व्यवहार से यह साबित किया कि स्वार्थपूर्ति उनका मुख्य उद्देश्य रहा है.
एक दामोदर वो था जो लड़ाई लड़ा
आज एक दामोदर चुसके आम खा रहा
एक दामोदर जेल में यातना सहा
दूसरा महल में भोग विलास कर रहा
एक था दामोदर माफ़ी मांग लिया
दूसरे ने राष्ट्र गरिमा गिरवी रख दिया
आज़ादी के बाद देश अपने सर्वमान्य राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के लिए दुनिया में जाना जाता रहा है. ये मूल्य वर्तमान शासन काल में ध्वस्त हो गए हैं.
क्या आपको बॉलीवुड मूवीज’ के पुराने गीत पसंद हैं? यदि हाँ, तो आप इस पोस्ट में लिखी कविता को वैसे ही गा सकते हैं जैसे आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी ने निम्नलिखित गीत एक्टर्स मधुबाला और भारत भूषण के लिए फिल्म फागुन में गाया है.
एक परदेसी मेरा दिल ले गया
जाते-जाते मीठा-मीठा ग़म दे गया
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